Add To collaction

कौन हूं मैं?

कौन हूं ?
मेरा अस्तित्व क्या है ?
मैं खुद बेखबर हूं।

जमीन पर बिखेरा गया
बीज से अंकुर फूटा
कंवल पौधा बना।

सबने सरेखा 
प्यार रूपी खाद देकर
ममता से सींचा।

बड़ा होते तक 
सहारा दिया सबने
पेड़ बनाया।


आश्रय देना सीखा
सारे जीव सुखी
तृप्त होकर छांव में

जो पास आया
कुछ पल ही सही
खुद को शांत पाया

सीधा खड़ा पेड़ 
निगाह में चुभती 
सबकी लगने लगा।

धूप से जला 
आश्रय में न जाकर
और जलने भूनने लगा।

जूट गया 
सीधे पेड़ काटने
गैरों की बात पे।

कट गया आश्रय
जीवन उदास
जो था उसके पास

रज से ही पैदा हुआ
ताने सहते लोगों के
समा गया आखिर रज में


जो सीधा वो कटा
टेढ़ा वो आज भी बचा
यही रीत सी हो गयी।

समय  को बदलो
जियो और जीने दो
मस्त रहो स्वस्थ रहो।


तोषण चुरेन्द्र 'दिनकर' 
धनगांव डौंडीलोहारा
बालोद छत्तीसगढ़

   14
3 Comments

Neelam josi

21-May-2022 05:59 PM

Very nice 👍🏼

Reply

fiza Tanvi

21-May-2022 01:05 PM

Bahut sunder. Aese hi likkhte rahi. Or lekhny se jude rahe bahut bahut shukriya

Reply

Gunjan Kamal

21-May-2022 01:04 PM

बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌

Reply